भारत में स्वदेशी कोविड वैक्सीन विकसित करने वाले दंपति को मिला पद्म विभूषण पुरस्कार

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देश में स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने वाले भारत बायोटेक के सह संस्थापक दंपति इस वर्ष पद्मविभूषण पुरस्कार प्राप्त करने वालों में से एक हैं। मंगलवार यानि 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर हैदराबाद स्थित कंपनी के सह-संस्थापकों के लिए इस पुरस्कार की घोषणा की गई।

डा. कृष्णा एला जैव प्रौद्योगिकी कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं जबकि उनकी पत्नी संयुक्त प्रबंध निदेशक हैं। उन्हें व्यापार और उद्योग के क्षेत्र में उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा के लिए पुरस्कार मिलेगा।

हैदराबाद स्थित इस फर्म ने पिछले साल की शुरुआत में टीके का निर्माण शुरू किया और तब से यह भारत के कोविड टीकाकरण कार्यक्रम का हिस्सा रहा है। वैक्सीन निर्माता इस कंपनी ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के सहयोग से इसे विकसित किया है।

कृष्णा और सुचित्रा एला ने 1996 में भारत बायोटेक की स्थापना की थी विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता, कृष्णा एला ने पीएचडी की उपाधि लेने के बाद दक्षिण कैरोलिना, चार्ल्सटन के मेडिकल विश्वविद्यालय में एक शोधार्थी के रूप में काम किया।

मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में एक शोध वैज्ञानिक, कृष्णा का मानना है कि संक्रामक रोगों के कारण होने वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं को हल करने के लिए टीके के विकास में नवीन तकनीक आवश्यक है। उनके नेतृत्व में, भारत बायोटेक नवाचारी वैक्सीन के क्षेत्र में विश्च में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।

गौरतलब है कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पांच अन्य लोगों का नाम पद्मश्री पुरस्कार विजेताओं की सूची में है। इनमें नरसिम्हा राव गरिकापति (साहित्य और शिक्षा), गोसावीदु शेख हसन (मरणोपरांत) (कला), आंध्र प्रदेश के डॉ. सुनकारा वेंकट आदिनारायण राव (औषधि), तेलंगाना के दर्शनम मोगिलैया, रामचंद्रैया और पद्मजा रेड्डी (कला) शामिल हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने उन तेलुगू लोगों को बधाई दी है जिन्हें उनके संबंधित क्षेत्रों में प्रयासों के लिए पद्म पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने भी राज्य के पद्म पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी है।