प्राकृतिक आपदाओं से अलर्ट करने के लिए तैयार किया गया ये यंत्र

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प्राकृतिक आपदा को लेकर सतर्कता और चेतावनी की जरूरत हाल ही में उत्तराखण्ड के चमोली में हुए हिमस्लखन की घटना के बाद और बढ़ गयी है। इस आपदा में कई सौ लोग लापता हो गये और काफी जान माल का नुकसान भी हुआ। आपदा से पहले जानकारी मिलने पर इसे रोकना संभव हो सकता है, ताकि बचाव और रोकथाम पर काम किया जा सके। इसी को देखते हुए वाराणसी की छात्राओं ने ग्लेशियर फ्लड अलर्ट सेंसर अलार्म का निर्माण किया है, जो प्राकृतिक आपदाओं से पहले ही लोगों को चेतावनी दे देगा।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित अशोका इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की छात्राएं अन्नू, आंचल पटेल और संजीवनी यादव ने यह सेंसर आलर्म मिलकर तैयार किया है।

अन्नू सिंह ने आईएएनएस को बताया कि, “उत्तराखण्ड में ग्लेशियर स्लाइड हुआ था। जिसमें कई लोगों की जान गयी। उसी को देखते हुए एक ऐसा ग्लेशियर फ्लड अलर्ट सेंसर अलार्म डिवाइस बनाया है। जिससे आपदा का पूवार्नुमान हो जाए। इससे होने वाली दुर्घटना से लोगों को बचाया जा सके।”

उन्होंने बताया कि, “इस सेंसर आलर्म का ट्रांसमीटर बांध, डैम क्षेत्र या ग्लेशियर के इलाके में लगा होगा। इसका रिसीवर राहत आपदा कन्ट्रोल क्षेत्र में लगाया जा सकता है। जैसे ही कोई आपदा आने वाली होगी वैसे ही ट्रान्समीटर रिसिवर को संकेत भेज देगा, जिससे समय रहते आपदा से लोगों को अलर्ट करके बचाया जा सकता है। इसकी रेंज अभी 500 मीटर है। आने वाले समय में यह कई किलोमीटर तक काम करेगा। एक घंटे चार्ज होंने पर छ: माह तक यह बड़े आराम से काम करेगा। इसे बनाने में 7 से 8 हजार रुपए का खर्च आया है। इसमें हाई फ्रीक्वेंसी ट्रांसमीटर, रिसीवर, साढ़े चार फिट के दो टावर है, जिसमें ट्रांसमीटर लगाया गया है। अभी यह प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। टावर को नुकसान पहुंचते ही इसमें लगे ट्रांसमीटर एक्टिव होंगे और आपदा का संकेत मिल जाएगा। बांध, ग्लेसियर, नदी के किनारे लगाने पर यह अच्छा कार्य करेगा।”