विराट कोहली: बचपन से ही लगता था कि वह रनों के लक्ष्य का कर सकते हैं पीछा

805

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने कहा कि ‘मैच के दौरान कभी अपनी काबिलियत पर शक नहीं किया और बचपन में यह सोच कर सोते था कि जो मैच भारत जीत नहीं पाया वो उस मैच को जीत सकते हैं।

भारतीय बल्लेबाज ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो, मैं जब छोटा था, मैं भारत के मैच देखता था और उनकी हार देखता था। मैं यह सोचते हुए सोता था कि मैं यह मैच जीत सकता था। अगर मैं 380 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा हूं तो मैंने कभी नहीं सोचा कि हम इसे हासिल नहीं कर सकते।’ कोहली ने बांग्लादेश के बल्लेबाज तमीम इकबाल के साथ फेसबुक लाइव पर कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैंने कभी अपने आप पर शक नहीं किया। हर इंसान में कमजोर और ताकतवर पहलू होते हैं। दौरे पर जब आपका नेट सेशन अच्छा न रहा हो तो आप सोचते हो कि आप लय में नहीं हो।’

उन्होंने कहा, ‘हां शक होता है और यह आपके दिमाग में चलता रहता है। इससे निकलने का रास्ता सिर्फ यही है कि आप तब तक लगातार मेहनत करते रहो जब आपको यह न लगने लगे कि यह सिर्फ एक रुकावट थी। अगर मुझे लगता है कि मैं अच्छा हूं तो हूं।’

31 साल के इस खिलाड़ी ने कहा, ‘मैच में जो स्थिति होती है उसकी सबसे अच्छी बात यह है कि आपको ज्यादा सोचना नहीं होता। आप अपना रोल जानते हुए इस पर प्रतिक्रिया देते हो। नकारात्मक आवाजें हमेशा मैदान के बाहर आती हैं जब आप लड़ने वाली स्थिति में नहीं होते हो।’

कोहली ने इस तरह के एक मैच का जिक्र किया जो उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ खेला था और भारत को जितवाया था। यही मैच था जिसने कोहली की छवि को एक तरह से बदल कर रख दिया था।

कोहली ने आगे कहा, ‘2011 में होबार्ट में हमें क्वालीफाई करने के लिए 40 ओवरों में 340 रन बनाने थे। ब्रेक पर मैंने सुरेश रैना से कहा हम इसे टी-20 मैच की तरह खेलेंगे। 40 ओवर लंबा समय है। पहले 20 खेलते हैं और देखते हैं कि कितने रन बनते हैं और फिर अगला टी-20 खेलेंगे।’

कोहली ने टीम के थ्रो डाउन विशेषज्ञ डी.राघवेंद्र की भी तारीफ की जो 150-155 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से थ्रो डाउन करते हैं।