पैरों से उड़ान भरता है दिव्यांग अमर बहादुर

336

किसी ने ठीक ही कहा है, ‘यदि हमारी उड़ान देखनी हो, तो आसमां से कह दो कि वो अपना कद और ऊंचा कर ले।’ इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के अमेठी के अमर बहादुर ने। अमर बहादुर दोनों हाथों से लाचार हैं, लेकिन उनके हौसलों में कमीं नहीं है। उनकी पढ़ाई के बीच में कभी हाथ बाधा नहीं बने। पैरों से लिखकर उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा पास की है।

अमेठी जिले के पिंडोरिया ग्राम सभा के करेहेंगी गांव के रामलखन और केवला देवी के दिव्यांग पुत्र अमर बहादुर नजीर बन गए हैं। बचपन से उनके हाथ के काम न करने के बावजूद उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई है।

अमर ने अपने पैरों से अपनी किस्मत लिखना शुरू किया। रामबली इंटर कॉलेज में वर्ष 2017 की हाईस्कूल परीक्षा के दौरान अमर ने सभी विषयों की कापी अपने पैरों से ही लिखी। जब परीक्षा परिणाम आया, तो लोग दंग रह गए। 59 प्रतिशत अंक ला कर अमर ने करेहेंगी गांव का मान बढ़ा दिया।

घर में रहकर अपने बेटे अमर की देखभाल कर रही मां केवला ने मीडिया को बताया, ‘बचपन से इसके दोनों हाथ ठीक नहीं हैं। पहले हम खिलाते थे, अब अपने पैरों से खाता है। पढ़ने में रुचि भी रखता है। लेकिन पैसे के अभाव में ज्यादा अच्छे स्कूल में हम इसकी शिक्षा नहीं करवा पा रहे हैं। दुख तो बहुत है, लेकिन अगर कोई सरकारी मदद हो जाती तो ठीक था। अगर कोई नौकरी मिल जाती तो ये आगे बढ़ जाता। यह गम भी सता रहा था कि अब इसका पूरा जीवन कैसे कटेगा। लेकिन, छोटी आयु से ही वह आसपास के बच्चों को पढ़ते जाते देख पढ़ने की जिद करने लगा। पैर से ही सिलेट पर वह लिखने लगा। तब हमलोगों ने भी उसका उत्साह बढ़ाना शुरू कर दिया।’

अमर ने मीडिया को बताया, ‘परीक्षा परिणाम से मेरा हौसला बढ़ा है। मैं और मेहनत करूंगा और शिक्षक बन कर देश समाज का नाम रोशन करूंगा। सरकार अगर मदद करे तो आगे भी बढ़ जाऊंगा।’